मालशेज घाट, पश्चिमी घाटों का एक महत्वपूर्ण दर्रा, केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक स्मारकों के लिए ही नहीं, बल्कि प्राचीन काल में एक महत्वपूर्ण व्यापारी मार्ग होने के लिए भी जाना जाता है। यह से मराठा काल मे व्यापारी जंगल के रास्ते घाटों से होते हुए जाते थे । ऊपर घाट पर पहुचने पर पत्थर की एक गोल मटकी बनी हुई है । जिसमे मराठा काल मे व्यापारियों से उसमे टैक्स वसूला जाता था ।
सातवाहन राजवंश (ईसा पूर्व 230 - ईस्वी 220) के शासनकाल में, मालशेज घाट उत्तर और दक्षिण भारत के बीच व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इन व्यापारियों के रहन सहन की सुरक्षा मराठा सैनिक करते थे
पश्चिमी घाटों की मनमोहक
श्रृंखला में स्थित, मालशेज घाट महाराष्ट्र राज्य का एक रत्न है। अपनी
प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध इतिहास और
शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध, यह घाट प्रकृति
प्रेमियों, रोमांच चाहने वालों और
शांति की तलाश करने वालों के लिए एकदम सही जगह है।
मालशेज घाट का ऐतिहासिक महत्व रहा है। 18वीं शताब्दी में, यह मराठा साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। यहाँ अनेक किले और युद्धभूमि भी देखने को मिलते हैं। यहा के जंगलों मे शेर , भालू , तेंदुआ ,हिरण , मोर अन्य जंगली जीव मिलते है । इसलिए इन रास्तों पर जाने से पहले वन विभाग अधिकारी की मंजूरी लेनी पड़ती है ।
समीप मे प्रसिद्ध नाणेघाट
का भी ऐतिहासिक महत्व है। प्राचीन काल से ही यह व्यापार मार्गों का एक महत्वपूर्ण
केंद्र रहा है। यहाँ अनेक मंदिर और स्मारक भी देखने को मिलते हैं।
मालशेज घाट के महत्व के कुछ प्रमुख कारण:
- भौगोलिक स्थिति: मालशेज घाट पश्चिमी घाटों का एक प्राकृतिक दर्रा था, जो उत्तर और दक्षिण भारत के बीच यात्रा को आसान बनाता था।
- प्राकृतिक संसाधन: मालशेज घाट घने जंगलों से घिरा हुआ था, जो लकड़ी, मसाले और अन्य मूल्यवान वस्तुओं का स्रोत था।
- राजनीतिक स्थिरता: सातवाहन राजवंश के शासनकाल में, क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता थी, जो व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करती थी।
मालशेज घाट से होने वाले व्यापार में शामिल कुछ प्रमुख
वस्तुएं:
- लकड़ी: मालशेज घाट के
घने जंगलों से लकड़ी का व्यापार होता था।
- मसाले: इलायची, काली मिर्च, दालचीनी और जायफल जैसे मसालों का व्यापार भी होता था।
- अन्य वस्तुएं: हाथीदांत, रत्न, धातुएँ और कपड़े जैसी अन्य वस्तुओं का भी व्यापार होता था।
मालशेज घाट ने सातवाहन
राजवंश की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह व्यापार
और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण केंद्र
था, जिसने भारत के इतिहास को आकार देने में मदद की।
आज भी, मालशेज घाट एक महत्वपूर्ण मार्ग है जो मुंबई और पुणे को
जोड़ता है। यह पर्यटकों के बीच भी लोकप्रिय है, जो प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व का आनंद
लेने के लिए यहाँ आते हैं।
जलवायु:
- मालशेज घाट: यहाँ साल भर सुखद जलवायु रहती है।
- गर्मी (मार्च-जून): गर्मियों में तापमान 30°C तक पहुंच सकता है।
- मानसून (जुलाई-सितंबर): मानसून में भारी बारिश होती है, जिसके कारण घने जंगलों में भूस्खलन का खतरा रहता है।
- सर्दी (अक्टूबर-फरवरी): सर्दियों में तापमान 15°C तक गिर सकता है।
- नाने घाट: यहाँ भी साल भर सुखद जलवायु रहती है।
- गर्मी (मार्च-जून): गर्मियों में तापमान 32°C तक पहुंच सकता है।
- मानसून (जुलाई-सितंबर): मानसून में भारी बारिश होती है, जिसके कारण घने जंगलों में बाढ़ और चट्टान फिसलने का खतरा रहता है।
- सर्दी (अक्टूबर-फरवरी): सर्दियों में तापमान 12°C तक गिर सकता है।
कैसे पहुंचें:
- मालशेज घाट:
- मुंबई से: NH48 हाईवे के माध्यम से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी तय करके 3-4 घंटे में मालशेज घाट पहुंचा जा सकता है।
- पुणे से: NH4 हाईवे के माध्यम से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय करके 2-3 घंटे में मालशेज घाट पहुंचा जा सकता है।
- नाने घाट:
- मुंबई से: NH48 हाईवे के माध्यम से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी तय करके 4-5 घंटे में नाने घाट पहुंचा जा सकता है।
- पुणे से: NH4 हाईवे के माध्यम से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी तय करके 3-4 घंटे में नाने घाट पहुंचा जा सकता है।
स्थानीय दर्शनीय स्थल:
मालशेज घाट:
- मालशेज फॉल्स: यह मालशेज घाट
का सबसे प्रसिद्ध झरना है, जो मानसून के दौरान अपनी भव्यता दिखाता है।
- आमनेश्वर मंदिर: यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो घने जंगलों से घिरा हुआ है।
- पुराना व्यापारी मार्ग: यह 17वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक व्यापारी मार्ग है।
- हरिश्चंद्रगढ़: यह एक प्रसिद्ध किला है जो ट्रेकिंग के लिए लोकप्रिय
है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मालशेज घाट से होने वाले व्यापार के बारे में इतिहासकारों के बीच कुछ मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि यह व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था, जबकि अन्य का मानना है कि यह अन्य व्यापारी मार्गों की तुलना में कम महत्वपूर्ण था। यहा आने से पहले सावधानी से आए , यह क्षेत्र बहुत ही अपघाती क्षेत्र है जिसमे जानवरों की हिंसा होने की संभावनाए अधिक होती है
लेकिन, यह
निश्चित है कि मालशेज घाट ने प्राचीन
भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।