स्पीकर कौन होता है?

भारतीय संसद में, स्पीकर लोकसभा का अध्यक्ष होता है। यह सदन का सर्वोच्च पद है और सदस्यों के बीच बहस और चर्चा को नियंत्रित करने, सदन की कार्यवाही का संचालन करने और संविधान और सदन के नियमों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाता है।


Loksabha Speaker Shri Om Birla

स्पीकर की पात्रता:

  • भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • लोकसभा का सदस्य होना चाहिए।
  • 30 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए।
  • किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।

स्पीकर के अधिकार:

  • सदन की बैठकों की अध्यक्षता करना।
  • सदन की कार्यवाही का संचालन करना।
  • बहस और चर्चा को नियंत्रित करना।
  • सदस्यों को बोलने का अवसर देना।
  • सदन की अवमानना ​​के मामलों में कार्रवाई करना।
  • विधेयकों और अन्य प्रस्तावों पर मतदान की प्रक्रिया का संचालन करना।
  • सदन की समितियों का गठन करना।
  • सदन के कर्मचारियों की नियुक्ति करना।

स्पीकर का चुनाव:

  • लोकसभा का चुनाव होने के बाद, सदस्यों की पहली बैठक में स्पीकर का चुनाव होता है।
  • चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होता है।
  • जीतने के लिए किसी उम्मीदवार को बहुमत (50% से अधिक वोट) प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
  • यदि कोई उम्मीदवार पहले दौर में बहुमत प्राप्त नहीं करता है, तो दूसरे दौर का मतदान होता है, जिसमें दो सबसे अधिक वोट वाले उम्मीदवार आमने-सामने होते हैं।
  • एक बार चुने जाने के बाद, स्पीकर लोकसभा के विघटन तक या त्यागपत्र देने तक पद पर रहता है।

स्पीकर को हटाना:

  • लोकसभा के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा पारित अविश्वास प्रस्ताव द्वारा स्पीकर को हटाया जा सकता है।

विपक्ष पर स्पीकर के अधिकार:

  • विपक्ष के नेता को मान्यता देना।
  • विपक्ष के सदस्यों को सदन में बोलने का उचित अवसर देना।
  • विपक्ष के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बहस की अनुमति देना।
  • विपक्ष के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित प्रस्तावों पर विचार करना।

स्पीकर भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सदन की स्वतंत्रता और सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सदन की कार्यवाही निष्पक्ष और कुशलतापूर्वक संचालित हो।


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