धनुषकोडी का रहस्य

धनुषकोडी, भारत के तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित एक भूतपूर्व शहर है। यह अपनी प्राचीन संस्कृति, धार्मिक महत्व और 1964 में आए विनाशकारी तूफान के लिए जाना जाता है।



इतिहास:

  • धनुषकोडी का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में 'रामसेतु' के रूप में मिलता है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने यहां सेतु बांधकर लंका तक पहुंचने के लिए पत्थरों को तैरने योग्य बनाया था।
  • यह शहर सदियों से एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र और तीर्थस्थल रहा है।
  • 1964 में आए एक विनाशकारी तूफान ने धनुषकोडी को तबाह कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप शहर को छोड़ना पड़ा।

लोग और जनसंख्या:

  • 1964 के तूफान से पहले, धनुषकोडी में मुख्य रूप से मछुआरे और व्यापारी रहते थे।
  • वर्तमान में, यह शहर लगभग निर्जन है, केवल कुछ ही परिवार यहां रहते हैं।

आकर्षक स्थान:

  • रामेश्वरम मंदिर: यह भगवान राम को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है।
  • धनुषकोडी बीच: यह एक सुंदर समुद्र तट है जो बंगाल की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी के संगम पर स्थित है।
  • एडम ब्रिज: यह रामसेतु का अवशेष माना जाता है, जो समुद्र में पत्थरों का एक चेन है जो भारत को श्रीलंका से जोड़ता है।
  • विनाशकारी तूफान का स्मारक: यह 1964 के तूफान के पीड़ितों की याद में बनाया गया है।

धनुषकोडी: 1964 के विनाशकारी तूफान का इतिहास

22-23 दिसंबर 1964 की रात, धनुषकोडी शहर एक भयानक तूफान की चपेट में आ गया, जिसने इस खूबसूरत तीर्थस्थल को तबाह कर दिया। यह तूफान, जिसकी गति 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं और 7 मीटर ऊंची लहरें थीं, इतिहास में सबसे विनाशकारी तूफानों में से एक बन गया।

तूफान का प्रभाव:

  • जानमाल का नुकसान: इस तूफान में 2,500 से अधिक लोग मारे गए और 500 से अधिक लापता हो गए।
  • शहर का विनाश: धनुषकोडी का अधिकांश हिस्सा तबाह हो गया, जिसमें कई घर, मंदिर, और सरकारी इमारतें शामिल थीं।
  • रामेश्वरम-धनुषकोडी रेल लाइन का विनाश:
    • तूफान के दौरान, रामेश्वरम से धनुषकोडी जा रही एक ट्रेन, 'पंबन रामेश्वरम एक्सप्रेस', तूफान में फंस गई और समुद्र में बह गई।
    • इस घटना में ट्रेन में सवार सभी 227 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए।
    • यह घटना भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे खराब दुर्घटनाओं में से एक है।
  • आर्थिक नुकसान: तूफान ने शहर के बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया।

तूफान के बाद:

  • तूफान के बाद, धनुषकोडी शहर को फिर से बसाने का प्रयास किया गया, लेकिन 1976 में आए एक और तूफान ने इन प्रयासों को विफल कर दिया।
  • सरकार ने अंततः धनुषकोडी को छोड़ने का फैसला किया और इसे एक भूत शहर के रूप में छोड़ दिया गया।
  • आज, धनुषकोडी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और रहस्यमय वातावरण के लिए जाना जाता है।

धनुषकोडी की यात्रा करते समय:

  • 1964 के तूफान के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए आप धनुषकोडी में स्मारक देख सकते हैं।
  • आप रामेश्वरम से धनुषकोडी तक नाव या जीप द्वारा यात्रा कर सकते हैं।
  • धनुषकोडी में रहने के लिए कोई होटल या गेस्ट हाउस नहीं हैं, लेकिन आप रामेश्वरम में रह सकते हैं और दिन के लिए धनुषकोडी की यात्रा कर सकते हैं।
  • धनुषकोडी में कोई एटीएम या बैंक नहीं हैं, इसलिए यात्रा से पहले पर्याप्त नकदी ले जाएं।
  • धनुषकोडी में सीमित भोजन और पेय विकल्प उपलब्ध हैं, इसलिए अपना कुछ भोजन और पानी साथ ले जाना बेहतर है।
  • धनुषकोडी में कोई मोबाइल फोन कनेक्टिविटी नहीं है।

धनुषकोडी 1964 के विनाशकारी तूफान से उबर नहीं पाया, लेकिन यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और रहस्यमय वातावरण के लिए जाना जाता है। यदि आप इतिहास और रोमांच में रुचि रखते हैं, तो धनुषकोडी आपके लिए अवश्य जाना चाहिए।

कब जाएं और कैसे जाएं:

  • धनुषकोडी जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम सुखद होता है।
  • आप रामेश्वरम से बस या टैक्सी द्वारा धनुषकोडी तक पहुंच सकते हैं।
  • धनुषकोडी में रहने के लिए कोई होटल या गेस्ट हाउस नहीं हैं, लेकिन आप रामेश्वरम में रह सकते हैं और दिन के लिए धनुषकोडी की यात्रा कर सकते हैं।

धनुषकोडी एक अद्भुत जगह है जो अपनी प्राचीन संस्कृति, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। 1964 के तूफान से हुए विनाश ने इस जगह को और भी रहस्यमय बना दिया है। यदि आप इतिहास और रहस्यों में रुचि रखते हैं, तो धनुषकोडी आपके लिए अवश्य जाना चाहिए।

ध्यान दें:

  • धनुषकोडी में कोई एटीएम या बैंक नहीं हैं, इसलिए यात्रा से पहले पर्याप्त नकदी ले जाएं।
  • धनुषकोडी में सीमित भोजन और पेय विकल्प उपलब्ध हैं, इसलिए अपना कुछ भोजन और पानी साथ ले जाना बेहतर है।
  • धनुषकोडी में कोई मोबाइल फोन कनेक्टिविटी नहीं है।

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