महाभियोग (Mahabhiyog) का मतलब होता है किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति के खिलाफ संसद द्वारा चलाए जाने वाली अभियोग की प्रक्रिया। यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर संविधान के उल्लंघन या कदाचार का आरोप लगाया जाता है। भारत में, महाभियोग की प्रक्रिया राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के खिलाफ लागू की जा सकती है।
आइए महाभियोग की प्रक्रिया को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं:
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आरोप लगाना (Impeachment Charges): महाभियोग की प्रक्रिया किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में एक प्रस्ताव पेश करके शुरू होती है। इस प्रस्ताव में उस व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए। प्रस्ताव को सदन के कम से कम एक चौथाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
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अनुमति देना (Granting Permission): प्रस्ताव पेश करने के बाद, उस पर चर्चा होती है और सदन इस पर मतदान करता है। प्रस्ताव को आगे बढ़ने के लिए सदन के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
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जांच (Inquiry): यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाता है। यह समिति आरोपों की जांच करती है, साक्ष्य जुटाती है और अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपती है।
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अभियोग चलाना (Trial): जांच के बाद, संसद के दूसरे सदन में उस व्यक्ति के खिलाफ औपचारिक अभियोग चलाया जाता है। इस दौरान आरोपी को अपना बचाव पेश करने का मौका दिया जाता है। अभियोग चलाने की प्रक्रिया एक न्यायिक प्रक्रिया के समान होती है।
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निष्कासन (Removal): यदि अभियोग चलाने के बाद, उस व्यक्ति को दोषी पाया जाता है और उसे हटाने के प्रस्ताव को सदन के दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया जाता है, तो उसे पद से हटा दिया जाता है।
महत्वपूर्ण बातें:
- महाभियोग एक जटिल प्रक्रिया है और अब तक भारत में किसी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग नहीं चलाया गया है।
- महाभियोग का उद्देश्य संवैधानिक पदों की गरिमा को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना है कि इन पदों पर बैठे लोग संविधान के अनुसार कार्य करते हैं।
मुझे आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी।