भारत में बेरोजगारी दर क्यों बढ़ रही है: नोटबंदी, GST और लॉकडाउन का असर

 भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है, जो समय के साथ बढ़ती जा रही है। कई कारकों ने इस वृद्धि में योगदान दिया है, जिसमें नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (GST) और हाल के वर्षों में लगे लॉकडाउन शामिल हैं। इस लेख में, हम इन तीन प्रमुख कारणों का विश्लेषण करेंगे और समझेंगे कि कैसे उन्होंने भारत की बेरोजगारी दर को प्रभावित किया है।


भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारण

  1. आर्थिक मंदी: वैश्विक और घरेलू आर्थिक मंदी के कारण कंपनियां अपने निवेश को कम कर रही हैं, जिससे नए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं।
  2. कौशल और शिक्षा में कमी: भारतीय युवाओं में सही कौशल और शिक्षा की कमी भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है।
  3. संरचनात्मक समस्याएँ: भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक समस्याएँ, जैसे कि कृषि क्षेत्र की धीमी विकास दर और औद्योगिक उत्पादन में कमी, बेरोजगारी को बढ़ा रही हैं।

नोटबंदी का बेरोजगारी पर प्रभाव

8 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य कर दिया, जिसे नोटबंदी कहा गया। इसका उद्देश्य काले धन और भ्रष्टाचार को समाप्त करना था, लेकिन इसके कई अप्रत्याशित प्रभाव भी हुए, जिनमें बेरोजगारी में वृद्धि शामिल है।

  1. अचानक नकदी की कमी: नोटबंदी के कारण बाजार में अचानक नकदी की कमी हो गई, जिससे छोटे व्यापार और अनौपचारिक क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा।
  2. छोटे उद्योगों का बंद होना: नकदी की कमी के कारण कई छोटे उद्योग और व्यवसाय बंद हो गए, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी की कमी के कारण कृषि कार्यों पर भी प्रभाव पड़ा और किसान और मजदूर बेरोजगार हो गए।

GST का बेरोजगारी पर प्रभाव

1 जुलाई 2017 को GST लागू किया गया, जिसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना था। हालांकि, इसके कार्यान्वयन के दौरान कुछ समस्याएं आईं, जिनसे बेरोजगारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

  1. छोटे व्यापारियों पर असर: GST के जटिल नियमों और अनुपालन की कठिनाइयों के कारण छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को नुकसान हुआ, जिससे वे अपना व्यापार बंद करने पर मजबूर हो गए।
  2. औद्योगिक उत्पादन में कमी: GST के कारण औद्योगिक उत्पादन में अस्थायी कमी आई, जिससे रोजगार के अवसर कम हो गए।
  3. अर्थव्यवस्था में अस्थिरता: GST के कार्यान्वयन के शुरुआती चरण में अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आई, जिससे निवेश में कमी और रोजगार के अवसरों में गिरावट आई।

लॉकडाउन का बेरोजगारी पर प्रभाव

कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए मार्च 2020 में पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया। यह लॉकडाउन बेरोजगारी दर में एक बड़ा उछाल लाया।

  1. व्यवसायों का बंद होना: लॉकडाउन के कारण कई छोटे और मध्यम व्यवसाय बंद हो गए, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए।
  2. मजदूरों का पलायन: लॉकडाउन के कारण लाखों प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस लौट गए, जिससे शहरी क्षेत्रों में मजदूरी की कमी हो गई और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ी।
  3. आर्थिक गतिविधियों में गिरावट: लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट आई, जिससे रोजगार के अवसर भी कम हो गए।

बेरोजगारी के समाधान के लिए सुझाव

  1. शिक्षा और कौशल विकास: युवाओं को रोजगार के योग्य बनाने के लिए शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान देना आवश्यक है।
  2. निवेश में वृद्धि: सरकार को निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियाँ बनानी चाहिए, जिससे नए रोजगार के अवसर सृजित हों।
  3. छोटे और मध्यम उद्योगों का समर्थन: छोटे और मध्यम उद्योगों को समर्थन और प्रोत्साहन देना जरूरी है, जिससे वे स्थायी रूप से संचालित हो सकें और रोजगार के अवसर प्रदान कर सकें।
  4. कृषि क्षेत्र का विकास: कृषि क्षेत्र में सुधार और निवेश करके ग्रामीण बेरोजगारी को कम किया जा सकता है।
  5. अनौपचारिक क्षेत्र का समर्थन: अनौपचारिक क्षेत्र को समर्थन और संरचना प्रदान करके इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं।


नोटबंदी, GST और लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इन उपायों के चलते बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है। हालांकि, शिक्षा, कौशल विकास, निवेश, और उद्योगों को समर्थन जैसे उपायों से इस समस्या का समाधान संभव है। सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से बेरोजगारी की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है और एक समृद्ध और स्थिर अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है।

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