खजुराहो का इतिहास चंदेल राजवंश के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। चंदेल वंश ने 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच मध्य भारत पर शासन किया। इस दौरान खजुराहो कला, संस्कृति और धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना। चंदेल राजाओं ने यहाँ 85 मंदिरों का निर्माण कराया था, जिनमें से आज 25 मंदिर ही बचे हैं। ये मंदिर हिंदू और जैन धर्म के प्रतीक हैं और यहाँ की मूर्तियाँ धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों को दर्शाती हैं।
खजुराहो के मंदिर न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, बल्कि अध्यात्म का भी प्रमुख केंद्र हैं। यहाँ के मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, धार्मिक अनुष्ठान और तंत्र विद्या के चित्रण मिलते हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई कामुक मूर्तियाँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं और भारतीय दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती हैं। खजुराहो के मंदिर योग, तंत्र और भक्ति मार्ग के आदर्शों को प्रकट करते हैं।
इन मूर्तियों को लेकर एक कहानी बड़ी प्रचलित है। कहते हैं कि एक बार राजपुरोहित हेमराज की बेटी हेमवती शाम को सरोवर में स्नान करने पहुंची। उस दौरान आकाश में विचरते चंद्रदेव ने जब स्नान करती हेमवती को देखा तो उनका मन विचलित होने लगा। उसी पल वे सुंदर हेमवती के सामने प्रकट हुए और उससे प्रणय निवेदन किया। कहते हैं कि उनसे जिस पुत्र ने जन्म लिया, बड़े होकर उसी ने चंदेल वंश की स्थापना की। समाज के डर से हेमवती ने पुत्र को करणावती नदी के तट पर पाला पोसा और उसका नाम चंद्रवर्मन रख दिया।
बड़ा होकर चंद्रवर्मन एक प्रभावशाली राजा बना। एक बार उसकी माता हेमवती ने उसे सपने में दर्शन देकर ऐसे मंदिरों के निर्माण के लिए कहा, जिससे समाज यह समझ सके कि कामेच्छा भी जीवन का एक जरूरी अंग है और इस इच्छा को पूर्ण करने वाला इंसान कभी भी स्वयं को दोषी न मानें।
चंद्रवर्मन ने अपनी मां का कहा माना और ऐसे मंदिर को बनवाने के लिए उन्होंने खजुराहो को चुना। इसे अपनी राजधानी बनाकर उसने यहां 85 वेदियों का एक विशाल यज्ञ भी कराया। बाद में इन्हीं वेदियों की जगह पर 85 मंदिर बनवाए गए थे । लेकिन आज 85 में से आज यहां केवल 22 मंदिर बचे हैं। 14वीं शताब्दी में चंदेलों के खजुराहो से जाने के बाद वह दौर खत्म हो गया।
प्रमुख आकर्षण
खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कंदरिया महादेव मंदिर: यह खजुराहो का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इसे शिव भगवान को समर्पित किया गया है और यहाँ की मूर्तिकला अद्वितीय है।
- लक्ष्मण मंदिर: यह विष्णु भगवान को समर्पित है और इसकी वास्तुकला बेहद खूबसूरत है।
- चौसठ योगिनी मंदिर: यह खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है और इसे तांत्रिक देवी योगिनियों को समर्पित किया गया है।
- विश्वनाथ मंदिर: यह शिव भगवान को समर्पित है और यहाँ की मूर्तियाँ अति सुंदर हैं।
- परशुराम मंदिर: यह विष्णु भगवान के अवतार परशुराम को समर्पित है।
- जगदंबी मंदिर: यह देवी जगदंबी को समर्पित है और इसकी दीवारों पर सुंदर मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
- देवी जगदंबा मंदिर: यह मंदिर भी देवी जगदंबा को समर्पित है और यहाँ की मूर्तियाँ अति सुंदर हैं।
- जैन मंदिर: खजुराहो में जैन धर्म के भी कई मंदिर हैं, जिनमें प्रमुख हैं पार्श्वनाथ, आदिनाथ और शांतिनाथ मंदिर।
पर्यटन स्थल बनाने के पीछे उद्देश्य
खजुराहो मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों से किया गया था। इन मंदिरों का उद्देश्य धर्म, कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करना था। यहाँ की मूर्तियाँ और स्थापत्य कला भारतीय जीवन और दर्शन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। इसके अलावा, ये मंदिर धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक समागमों का भी केंद्र रहे हैं। आज ये मंदिर भारतीय पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
इस मंदिर में कई मैथुनी मूर्तियां लगाई गई हैं। जिन्हें देखने के बाद लोगों के मन में कई सवाल आते हैं। जैसे कि मंदिर जैसी जगह पर इन मूर्तियों के बनाने का मकसद क्या था। मूर्तियां बनाते वक्त धर्मगुरुओं ने इसका विराध क्यों नहीं किया। क्या इस मंदिर का कामसूत्र से कोई संबंध है। खजुराहो में कामुक मूर्तियां लगाने का भी एक राज है, जो हम आपको आगे बताएंगे।
मंदिर की मूर्तियों में अष्ट मैथुन का सजीव चित्रण दिखाई देता है। 22 मंदिरों में से एक कंदारिया महादेव का मंदिर काम शिक्षा के लिए काफी मशहूर है। इस मंदिर का निर्माण राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनवी को दूसरी बार परास्त करने के बाद 1065 ई. के आसपास करवाया था। बाहर दीवारों पर नर-किन्नर, देवी-देवता और प्रेमी-युगल आदि के सुंदर चित्र उकेरे गए हैं। बीच की दीवारों पर आपको कुछ अनोखे मैथुन दृश्य देखने को मिलेंगे।
खजुराहो में दीवारों पर बनी कामुक मूर्तियों का अपना महत्व है। यहां एक दीवार पर ऊपर से नीचे की ओर बनी 3 मूर्तियां कामसूत्र में वर्णित एक सिद्धांत की अनुकृति है। मैथुन क्रिया की शुरुआत में आलिंगन और चुंबन के जरिए उत्तेजना बढ़ाने का महत्व दर्शाया गया है। वही अन्य दृश्य में एक पुरुष 3 स्त्रियों के साथ रतिरत नजर आता है। एक मूर्ति ऐसी भी हैं, जहां नायक नायिका एक दूसरे को उत्तेजित करने के लिए नख दंत का प्रयोग कर रहे हैं। यह भी कामसूत्र के किसी सिद्धांत को दर्शाता है
कहते हैं कि चंदेल राजाओं के समय इस क्षेत्र में तांत्रिक समुदाय की वाममार्गी शाखा का वर्चस्व था। ये लोग योग और भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे। ये मूर्तियां उनके क्रियाकलापों की ही देन हैं। शास्त्र कहते हैं कि संभोग भी मोक्ष प्राप्त करने का एक साधन हो सकता है, लेकिन यह बात सिर्फ उन लोगों पर लागू होती है, जो सच में ही मानते हैं।
घूमने का सही समय
खजुराहो घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस दौरान मौसम सुहावना और ठंडा रहता है, जो घूमने के लिए आदर्श होता है। यहाँ का तापमान इस समय 5°C से 25°C के बीच रहता है। मॉनसून (जुलाई से सितंबर) के दौरान यहाँ भारी वर्षा होती है, जिससे यात्रा थोड़ी कठिन हो सकती है। गर्मियों में (अप्रैल से जून) तापमान 40°C तक पहुँच सकता है, जो यात्रा के लिए अनुपयुक्त हो सकता है।
खजुराहो कैसे पहुँचें : यह एक बहुत ही सामान्य प्रश्न है। हालाँकि, यात्रियों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि खजुराहो हवाई अड्डा, जिसे सिविल एयरोड्रम खजुराहो के रूप में भी जाना जाता है, शहर के केंद्र से सिर्फ छह किमी दूर है।
दिल्ली से खजुराहो के लिए कुछ उड़ानें हैं क्योंकि यह छोटा घरेलू हवाई अड्डा भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है, यहाँ दिल्ली और वाराणसी से नियमित उड़ानें संचालित होती हैं। हवाई अड्डे के बाहर से टैक्सी और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से: खजुराहो मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के साथ उत्कृष्ट सड़क संपर्क का आनंद लेता है। मध्य प्रदेश और उसके आसपास के शहरों जैसे सतना (116 किमी), महोबा (70 किमी), झांसी (230 किमी), ग्वालियर (280 किमी), भोपाल (375 किमी) और इंदौर (565 किमी) से एमपी पर्यटन की कई सीधी बसें उपलब्ध हैं। NH 75 खजुराहो को इन सभी प्रमुख दूरियों से जोड़ता है हालाँकि खजुराहो रेलवे स्टेशन भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है।
नई दिल्ली से खजुराहो के लिए खजुराहो-हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस नामक एक नियमित ट्रेन है, जो खजुराहो पहुँचने में लगभग 10 से 11 घंटे का समय लेती है। खजुराहो को अन्य भारतीय शहरों से जोड़ने वाला दूसरा प्रमुख रेलवे स्टेशन महोबा में है, जो लगभग 75 किमी दूर है। इन दोनों स्टेशनों के बाहर से ऑटो और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
हेल्पलाइन : पुलिस 100 | एम्बुलेंस : 108 | महिला हेल्पलाइन :1091 |पुलिस कंट्रोल रूम :07732-252031 | मुख्यमंत्री हेल्प लाइन : 181