आपातकाल भारतीय संविधान के तहत एक असाधारण स्थिति है जिसे देश की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है। यह स्थिति विशेष परिस्थितियों में लागू की जाती है जब सरकार को लगता है कि देश की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, या आर्थिक स्थिरता को खतरा है।
आपातकाल के प्रकार
भारतीय संविधान के तहत आपातकाल तीन प्रकार का होता है:
1. राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency)
राष्ट्रीय आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत लगाया जाता है। यह तब घोषित किया जाता है जब देश की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण या आंतरिक विद्रोह से खतरा होता है।
2. राज्य आपातकाल (President's Rule)
राज्य आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया जाता है। यह तब घोषित किया जाता है जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता होती है, अर्थात राज्य सरकार राज्य को सुचारू रूप से चलाने में असमर्थ होती है।
3. वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency)
वित्तीय आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत घोषित किया जाता है। यह तब लागू होता है जब देश की वित्तीय स्थिरता को खतरा होता है।
आपातकाल लगाने की शर्तें
1. राष्ट्रीय आपातकाल
- बाहरी आक्रमण या आंतरिक विद्रोह के कारण देश की सुरक्षा को खतरा।
- राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर आपातकाल की घोषणा करनी होती है।
- आपातकाल की घोषणा संसद की दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए।
2. राज्य आपातकाल
- राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता।
- राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा करते हैं।
- राज्य आपातकाल संसद की दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए।
3. वित्तीय आपातकाल
- देश की वित्तीय स्थिरता को खतरा।
- राष्ट्रपति द्वारा वित्तीय आपातकाल की घोषणा की जाती है।
- संसद की दोनों सदनों द्वारा इसे अनुमोदित किया जाना चाहिए।
आपातकाल की अवधि
1. राष्ट्रीय आपातकाल
- प्रारंभिक अवधि 6 महीने होती है।
- संसद की अनुमति से इसे अनिश्चित काल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
2. राज्य आपातकाल
- प्रारंभिक अवधि 6 महीने होती है।
- संसद की अनुमति से इसे अधिकतम 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
3. वित्तीय आपातकाल
- प्रारंभिक अवधि 2 महीने होती है।
- संसद की अनुमति से इसे अनिश्चित काल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
आपातकाल के नुकसान
आपातकाल के लागू होने से कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. मौलिक अधिकारों का निलंबन
आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 19 के तहत प्रदान किए गए अधिकार निलंबित हो सकते हैं।
2. मीडिया पर सेंसरशिप
आपातकाल के दौरान मीडिया पर सेंसरशिप लागू की जा सकती है, जिससे सूचना और समाचार की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। इससे जनता को सही और स्वतंत्र जानकारी प्राप्त करने में बाधा आ सकती है।
3. राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध
आपातकाल के दौरान राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो सकती है। इससे विपक्षी दलों को अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल सकता।
4. गिरफ्तारी और हिरासत
आपातकाल के दौरान नागरिकों की गिरफ्तारी और हिरासत की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। बिना मुकदमे के लंबी अवधि तक हिरासत में रखा जा सकता है, जिससे नागरिक स्वतंत्रता का हनन होता है।
5. आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव
आपातकाल के दौरान वित्तीय आपातकाल लागू होने पर देश की आर्थिक नीतियों में कठोरता आ सकती है, जिससे आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। सरकारी खर्चों पर कटौती और कराधान में वृद्धि हो सकती है।
6. सामाजिक और राजनीतिक तनाव
आपातकाल के दौरान सामाजिक और राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। इससे नागरिकों के बीच असंतोष और विरोध की भावना उत्पन्न हो सकती है, जो सामाजिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।