मनरेगा क्या है? इसके फायदे, योग्यता, और समाधान

 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी प्रदान करना है। यह योजना गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण विकास, और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस लेख में, हम मनरेगा के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके फायदे, पात्रता और इससे संबंधित समस्याओं के समाधान पर चर्चा करेंगे।


मनरेगा क्या है?

मनरेगा, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भी कहा जाता है, 2005 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी संपत्ति का सृजन करना और बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना है। मनरेगा के तहत, हर ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी दी जाती है।

मनरेगा के फायदे

  1. रोजगार की गारंटी: मनरेगा के तहत हर ग्रामीण परिवार को 100 दिन का रोजगार प्राप्त होता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  2. गरीबी उन्मूलन: इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम करने में मदद मिलती है।
  3. स्थायी संपत्ति का सृजन: मनरेगा के तहत किए गए कार्यों से ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, तालाब, नहर, इत्यादि जैसी स्थायी संपत्ति का सृजन होता है।
  4. मजदूरी का भुगतान: मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
  5. सामाजिक सुरक्षा: इस योजना से ग्रामीण मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है और उनकी जीवन स्तर में सुधार होता है।

मनरेगा के तहत योग्यता

  1. ग्रामीण परिवार: मनरेगा का लाभ केवल ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों को ही मिलता है।
  2. स्वैच्छिक पंजीकरण: मनरेगा के तहत काम करने के लिए परिवारों को स्वैच्छिक रूप से पंजीकरण कराना होता है।
  3. बालिग सदस्य: केवल 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के बालिग सदस्य ही मनरेगा के तहत काम कर सकते हैं।
  4. कार्य करने की इच्छा: मनरेगा के तहत काम करने के लिए परिवार के सदस्य को काम करने की इच्छा व्यक्त करनी होती है।

मनरेगा से संबंधित समस्याएं और उनके समाधान

  1. वेतन भुगतान में देरी: मजदूरों को समय पर वेतन नहीं मिलने की समस्या अक्सर होती है। इसका समाधान बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन और डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से किया जा सकता है।
  2. कार्य की गुणवत्ता: कई बार मनरेगा के तहत किए गए कार्यों की गुणवत्ता में कमी होती है। इसके लिए कार्य की नियमित निगरानी और निरीक्षण आवश्यक है।
  3. पंजीकरण में धांधली: पंजीकरण प्रक्रिया में धांधली और भ्रष्टाचार की शिकायतें आती हैं। इसका समाधान पारदर्शी और ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली के माध्यम से किया जा सकता है।
  4. जानकारी की कमी: ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा के नियमों और लाभों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना और सूचना प्रसार करना आवश्यक है।
  5. संसाधनों की कमी: कई बार संसाधनों की कमी के कारण कार्य पूरा नहीं हो पाता। इसका समाधान बेहतर योजना और संसाधनों का सही उपयोग करके किया जा सकता है।

मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके फायदे, योग्यता और समस्याओं के समाधान के बारे में जानकारी प्राप्त कर, हम इस योजना का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और ग्रामीण विकास में योगदान दे सकते हैं।

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