मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भारत के सर्वोच्च न्यायालय का अध्यक्ष होता है। यह भारतीय न्यायपालिका का सर्वोच्च पद है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिकों को न्याय प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होता है।
सीजेआई की पात्रता:
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक होना चाहिए।
- कम से कम 10 वर्षों का वकालत का अनुभव होना चाहिए।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कम से कम 5 वर्षों का अनुभव होना चाहिए।
सीजेआई के अधिकार:
- सर्वोच्च न्यायालय की बैठकों की अध्यक्षता करना।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
- न्यायालय की कार्यवाही का संचालन करना।
- महत्वपूर्ण मामलों में बेंच का गठन करना।
- न्यायालय के कर्मचारियों की नियुक्ति करना।
- न्यायालय के बजट का प्रबंधन करना।
सीजेआई का चुनाव:
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को सीजेआई के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- राष्ट्रपति, निवर्तमान सीजेआई के परामर्श से, अगले सीजेआई का चयन करता है।
- यह परंपरागत रूप से वरिष्ठता के आधार पर होता है, लेकिन कुछ अपवाद भी रहे हैं।
सीजेआई का कार्यकाल:
- सीजेआई 65 वर्ष की आयु तक पद पर रहता है।
- वह स्वेच्छा से भी पद से इस्तीफा दे सकता है।
- महाभियोग द्वारा उसे हटाया जा सकता है।
विपक्ष पर सीजेआई के अधिकार:
- सीजेआई विपक्ष के सदस्यों को न्यायालय में पेश होने और अपना पक्ष रखने का अवसर देता है।
- वह न्यायालय की कार्यवाही में निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करता है।
- वह विपक्ष के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करता है।
मुख्य न्यायाधीश भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिकों को न्याय प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होता है। सीजेआई का पद सम्मान और गरिमा का प्रतीक है, और इसके लिए उच्चतम स्तर की योग्यता और अनुभव की आवश्यकता होती है।