बाघों की रियासत मध्यप्रदेश का बांधवगढ़ नेशनल पार्क

मध्य प्रदेश के विंध्य पर्वतमाला की गोद में बसा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बाघों के प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यह राष्ट्रीय उद्यान न सिर्फ बाघों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने समृद्ध इतिहास, विविध वनस्पति और जीव जंतुओं के लिए भी जाना जाता है। आइए, इस लेख में हम बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास, वहां तक पहुंचने के तरीकों, घूमने के स्थानों और आपके सफर को यादगार बनाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियों को जानेंगे और समझेंगे 


बांधवगढ़ का इतिहास लगभग 2500 वर्ष पुराना है। माना जाता है कि इस क्षेत्र पर चेदि साम्राज्य का शासन था। इसी साम्राज्य के राजाओं ने बांधवगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था। यह दुर्ग एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थल था और कई शासकों के अधीन रहा।

दुर्ग के साथ-साथ प्राचीन गुफा चित्र भी बांधवगढ़ के इतिहास की कहानी बयां करते हैं। इन गुफा चित्रों में शिकार के दृश्य, धार्मिक प्रतीक और जानवरों के चित्र उकेरे गए हैं, जो हमें उस समय के जीवन शैली की झलक देते हैं।

बांधवगढ़ को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा 1936 में मिला और 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। आज यह बाघ संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बाघों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। बाघों के अलावा, यहां तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली सुअर, चौ सिंह सहित विभिन्न प्रकार के स्तनधारी पाए जाते हैं।

पक्षी प्रेमियों के लिए भी बांधवगढ़ किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां 250 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मोर, गरुड़, हॉर्नबिल, कॉमन ग्रे हॉर्नबिल, ब्लैक आइबिस और इंडियन पिट्टा शामिल हैं।

इस राष्ट्रीय उद्यान की खास बात यह है कि यहां घड़ियाल सहित सरीसृपों की 80 से अधिक प्रजातियां भी पाई जाती हैं।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा तरीका सफारी करना है। आप यहां जीप सफारी या हाथी सफारी का चुनाव कर सकते हैं। जीप सफारी पूरे जंगल में घूमने का रोमांचक अनुभव प्रदान करती है, वहीं हाथी सफारी जंगल के ऊंचाई वाले इलाकों तक पहुंचने का अनूठा अवसर देती है।

सफारी के लिए सुबह और शाम का समय सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि इस दौरान जानवर ज्यादा सक्रिय रहते हैं। सफारी बुकिंग के लिए आप राष्ट्रीय उद्यान के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान सिर्फ बाघों को देखने की जगह ही नहीं है, बल्कि यहां घूमने के लिए कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्थल हैं. बांधवगढ़ दुर्ग, विष्णु मंदिर

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचने के लिए हवाई, रेल और सड़क मार्ग तीनों विकल्प उपलब्ध हैं। आइए, हर एक विकल्प पर विस्तार से चर्चा करें:

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर विमानक्षेत्र है, जो राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित है। जबलपुर से आप टैक्सी या कैब लेकर बांधवगढ़ पहुंच सकते हैं।
  • रेल मार्ग: बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन उमरिया (35 किलोमीटर) और कटनी (100 किलोमीटर) हैं। उमरिया से टैक्सी या जीप आसानी से मिल जाती है। कई प्रमुख शहरों से उमरिया के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं।
  • सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से भी आप बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान आसानी से पहुंच सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 बांधवगढ़ के पास से गुजरता है। आप सड़क मार्ग से जबलपुर, रीवा, कटनी या सतना से बांधवगढ़ तक पहुंच सकते हैं।

आपकी यात्रा को सुखद बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां

  • सबसे अच्छा समय: बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी का महीना होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और जंगल घूमने में आसानी होती है।
  • रहने का स्थान: बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के आसपास कई रिसॉर्ट, होटल और लॉज उपलब्ध हैं। आप अपनी बजट के अनुसार रहने का स्थान चुन सकते हैं।
  • क्या पैक करें: बांधवगढ़ की यात्रा के लिए आरामदायक कपड़े, टोपी, सनस्क्रीन, जूते, कैमरा और दूरबीन जरूर पैक करें।
  • नियमों का पालन करें: राष्ट्रीय उद्यान घूमते समय वन विभाग द्वारा निर्धारित नियमों का पालन अवश्य करें। शोर ना करें, प्लास्टिक का प्रयोग ना करें और वन्यजीवों को परेशान ना करें।

मध्य प्रदेश के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर

  • पुलिस: 100
  • एंबुलेंस: 102
  • अग्निशमन सेवा: 101
  • महिला हेल्पलाइन: 181
  • पर्यटक हेल्पलाइन: 1800 233 4400 (toll free)

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव प्रेमी के लिए स्वर्ग है। उम्मीद है कि यह लेख आपको बांधवगढ़ की यात्रा के लिए प्रेरित करेगा। अपनी यात्रा का भरपूर आनंद लें और जंगल की खूबसूरती को दिल में बसा लें!

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